हम, पहचान कौन और राजू श्रीवास्त्व (We, Pehchaan Kaun & Raju Srivastva)

raju srivastva

Animation Scholars के लिए 24FPS सबसे बड़ा इवेंट होता है। Animation Field के लोग यह जानते हैं।  2008 में जब मैं घर आया हुआ था, मेरे institute ने  मुझे सूचित किया की मुझे 24fps के लिए चुना गया है और मैं तुरंत institute लौट आऊ। 2 दिन बाद ही मैं अपने institute पंहुचा जहाँ अब मुझे एक नयी लैब में बिठा दिया गया, यह लैब 24fps के लिए थी। यहाँ मैं उन 5 लोगों से मिला जो कुछ ही दिनों में मेरे जीवन के best friends बनने वाले थे और इसी के साथ आने वाले थे हम सभी 6 लोगों की जिंदगी के सबसे यादगार पल जिनसे हम बिलकुल अनजान थे । हम 6 लोगों का गठन एक 3 मिनट की 3D movie बनाने के लिए हुआ था जो हमारे सेंटर की 24fps entry होने वाली थी। न तो हम लोगों को खुद से कोई उम्मीद थी न ही हमारे सेंटर को हमसे कोई उम्मीद थी। बस इतना था की एक औपचारिकता है, 8 महीने का समय है, मस्ती मजाक होगा और आखिर में अपना Portfolio तैयार कर लेंगे ताकि job मिल सके। 

सो हम 6 लोग लग गए। कहानी final हुई और हमारी एंट्री का नाम रखा गया 'पहचान कौन'. कहानी फाइनल होने पर महसूस हुआ की ऐसी कहानी के लिए जो source material चाहिए उसके लिए दिमाग में एक ही नाम आया 'राजू श्रीवास्त्व', हाँ अपने गजोधर भैया। इन्ही से प्रेरित होकर मेरे हाथों जन्म हुआ हमारे character गज्जू का। हम सभी 6 लड़कों ने राजू भैया, उनके स्टाइल, उनकी कॉमेडी, उनकी आवाज को घोल के पी लिया था जो हमारी आम बातचीत और शारीरिक आव-भाव में भी नज़र आने लगा था। सिर्फ एक करैक्टर गज्जू में ही नहीं बल्कि हमारी पूरी एंट्री में ही राजू श्रीवास्त्व जी का प्रभाव नीव की तरह काम कर रहा था। जैसे जैसे दिन आगे बढे हम 6 लफंडर लड़के काम में साजिंदा होते चले गए। जैसा काम निकल के आ रहा था अब कुछ उम्मीद हमें भी बंधने लगी थी। अब हम बस 6 हसी मजाक करने वाले लड़के न होकर LOC पर खड़े जवानो जैसे हो गए थे जो एक जंग पर तैनात थे और उद्देश्य बस जीत, क्या दिन क्या रात । इस थका देने वाली प्रक्रिया में सिर्फ गजोधर भैया थे जिन्हे मात्र सोचने भर से हम किसी भी स्तिथि में सहसा ही हंस उठते थे। अपनी लैब में होते हुए भी UP की किसी शादी में हो आते थे।

देखते देखते हमारी एंट्री पूरी हुई हम 2009 में प्रवेश कर चुके थे। कार्यक्रम का समय आने पर हम उसमें सम्मिलित होने के लिए मुंबई भी पहुंचे। मुझे ऐसा एहसास कभी भी नहीं हुआ था पर उस दिन और उस पल मुझे महसूस हुआ की साँसे थमना सच में किसे कहते हैं जब बेस्ट फिल्म के लिए हमारी एंट्री पहचान कौन का नाम केतन मेहता जी द्वारा बोला गया। हम जीत चुके थे। पहचान कौन जीत चुकी थी। पहचान कौन का गज्जू जीत चूका था और उस गज्जू के पीछे हमारे गजोधर भैया भी जीते थे। हम सभी की जिंदगी में यह बड़ी उपलब्धि अब हमेशा के लिए दर्ज हो चुकी थी और इसमें राजू श्रीवास्त्व जी का अप्रतक्ष्य रूप से बहुत बड़ा योगदान था। 

समय बीता, दोस्तों के बीच जिम्मेदारियों से बनी दुरी आ गयी। अब 'पहचान कौन' बस एक उपलब्धि और याद बनकर रह गयी। इस समय सीमा में हम में से किसी के भी मन में भी यह विचार नहीं आया की 'आओ सब मिलकर एक बार राजू श्रीवास्त्व जी से मिलकर आये और उन्हें अपनी इस उपलब्धि के बारें में बताये जिसपर उनका इतना असर है'। हम चाहते तो ऐसा कर सकते थे पर दुर्भाग्यवश कोई ऐसा सोच नहीं पाया और अब बस पछतावा है। 

आज राजू श्रीवास्त्व जी चले गए हैं, हम जैसे कितने ही 'पुत्तन, मनोहर, यादव' को छोड़कर। कभी सोचा भी नहीं था की जिस इंसान ने इतना हसाया, कभी हमें रुला भी सकता है पर वह जो भी देकर गए वह सदा ही एक खजाने की तरह हम सबके साथ है और रहेगा। दुनिया ने भले ही उनको कॉमेडियन का तमगा लगाया हो पर गजोधर भाई हमारे लिए हमेशा एक सुपरस्टार थे और रहेंगे। मैंने राजू जी को काफी छोटी उम्र से देखा है जब उनके छोटे से act 'लहरें' की VHS और दूरदर्शन के न्यू ईयर प्रोग्राम में आते थे। बाद में राजू जी Laughter show के द्वारा हम कॉलेज के दोस्तों की लाइफ का भी हिस्सा बने रहे। 

अंत में मैं यही कहूंगा जीवन छोटा है, आप आज जो सोच रहे हैं कल कर दीजिये अन्यथा परसो करने की किस्मत ही नहीं रहेगी। चीजें जाने के बाद सिर्फ पछतावा रह जाता है। हमेशा सही सितारे का चुनाव करें। क्योंकि कहीं न कहीं यह सितारे हमें प्रभावित करते हैं। आपका सितारा सबसे पहले एक अच्छा इंसान हो उसके बाद उसका काम हो। और मुझे गर्व है हमारे राजू जी ऐसे ही इंसान और कलाकार थे, जिनके होने भर से हमें इतनी प्रेरणा मिली।  राजू जी हमेशा बड़े भाई की तरह हमारे हृदय में रहेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दें। 🙏💔😢

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